जज्बात बहुत से हे दिल में,
किसे भूल चलु किसे याद करू ....
किसे भूल चलु किसे याद करू ....
कुछ खुसियो के दीपक जलते हे,
रोशन जो दिल को करते हे,
रोशन जो दिल को करते हे,
और दर्द की गठरी भरी हुई.
"रौसा" किस किस के पास रखु ?
जज्बात बहुत से हे दिल में,
किसे भूल चलु किसे याद करू....
किसे भूल चलु किसे याद करू....
उमीद के आंचल,
गम के बादल,
आँखों में मोती भरे हुए..
गम के बादल,
आँखों में मोती भरे हुए..
कुछ जख्म भरे हे अभी - अभी
कुछ घाव अभी तक हरे - हरे,
कुछ घाव अभी तक हरे - हरे,
किससें करू में दर्द बया ?
में खुद से खुद ही, संवाद करू...
में खुद से खुद ही, संवाद करू...
जज्बात बहुत से हे दिल में,
किसे भूल चलु किसे याद करू....
किसे भूल चलु किसे याद करू....
दीपक रौसा
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