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Friday, October 24, 2014

Half Girlfriend Book reivew

अभी तक मैंने जो भी किताबो के रिव्यु लिखे है वह सारे इंग्लिश में थे, ये मेरी पहली कोशिश है अपने ब्लॉग में हिंदी के बुक रिव्यु लिखने की तो अगर कोई गलती नज़र आती है आपको तो जरूर बताये ।

आज मैं जिस बुक के बारे में बात करने जा रहा हूँ वह है " Half Girlfriend", ये बुक बेस्टसेलर ऑथर चेतन भगत ने लिखी है, और मुझे ये  लिखने में यहाँ पे कोई भी दिक्कत नहीं है की ये बुक भी बेस्ट सेलर और और एक बॉलीवुड मूवी भी बनेगी । इस बुक को मैंने ३ घंटे में खत्म कर लिया था, इसका शुक्रिया मैं चेतन साहब को दूँगा, उन्होंने बुक को इतनी आसान भाषा में लिखा है, की हिन्दोस्तान जहा पे लोग हिंगलिश बोलना पसंद करते है आराम से पढ़ सकते है, और वैसे कुछ लोग इसको एक हिंगलिश बुक भी कह सकते है ।

ये कहानी है माधव झा की जो बिहार से आया है दिल्ली पढ़ने, जहा पे वह मिलता है किताब के दूसरे अहम किरदार से जिसका नाम है रिया समोनी, इन दोनों में एक ही बात कॉमन है वह है बास्केटबॉल । माधव को इंग्लिश में दिक्कत है पर बास्केटबॉल की वजह से एडमिशन मिलता है वही रिया से दोस्ती भी इसी वजह से होती है । उसके बाद कहानी है इस दो किरदारों की जो की एकदम अलग है, हीरो है बिहार का जो दिल्ली की हर बाद उसके लिए नयी है, और रिया जो दिल्ली के बड़े परिवार से है पर अलग है। इन दोनों की ज़िन्दगी की कहानी है ये। बुक काफी हद तक पहले कुछ चैप्टर में अच्छी रही है, पर उसके बाद मैं इस किताब में कही भी सरप्राइज नहीं हुआ, मुझे पहले से ही पता लग रहा था की अब क्या होगा, और मैंने सबसे ज्यादा किताब के लास्ट पोरशन से डिस्अप्पोइंट हुआ, मुझे कही भी ये फील नहीं आई की ये बुक है , मुझे लग रहा था सब चेतन साहब अपनी किसी नयी फिल्म की कहानी सुना रहे है, और इस किताब में ऐसा कुछ नही है की आप कहे की है ये किताब आप दुबारा पढ़ सकते है।

मुझे ऐसा फील हुआ बुक पढ़ते समय शायद चेतन साहब को बुक बिकने से ज्यादा इसके बॉलीवुड राइट की चिंता थी, ये बुक कही से भी आपको एक बुक की कहानी की फीलिंग नहीं देती । आपको ऐसा लगता है आप एक  मूवी देख रहे है, पर आप उसके हर एक अगले पल को जानते है, जैसे की मैं आपको एक उदाहरण देता हो, ये बुक पूरी एक पारिवारिक बुक है, इसमें सेक्स के बारे में उतनी है बात की गयी है जितनी एक मूवी में होती है, और जहा तक चेतन भगत की किताबो का सवाल है, ये थोड़ा सा ओड है ।

इस बुक का सबसे बड़ी कमी है की आप किसी भी किरदार से जुड़ा हुआ नहीं महसूस करते है, आपको लगता है की ये सब ठीक है, आपके किसी के खोने का गम नहीं होता, न ही मिलने की खुशी, या तो पहले से सब जानते हो तब ऐसा  होता है, या तो किरदार सही तरह से आपके सामने डेवेलप नहीं हो पते, इस बुक में कभी बी कोई किरदार डेवेलोप नहीं हुआ है, हर कोई बस एक हद तक है, ये एक टर्म इंडिया में अब फ़मोस है तो ये २०-२० बुक है , यहाँ सब कुछ फ़ास्ट है, पर आप किसी भी बात से जुड़े नहीं है ।

ये बुक ये एक बहुत बड़ी हिट होगी, लोग इससे अछा भी कहेगा और बुरा भी, पर समझे बुक और कहनी दो अलग बात है, ये एक कहानी है किताब नहीं, किताब लिखना थोड़ा से ज्यादा मेहनत का काम होता है, और इस बुक में थोड़ी से कही है । पर ये किताब परफेक्ट है किसी भी मूवी के लिए, मैं तो यही कहोगे की मैं  इस बुक से बड़ा ही डिस्अप्पोइंट हुआ हो, और शायद अब मुझे चेतन साहब की बुक  को दूर रखना चाहिए ।

नोट: अगर किसी को इस रिव्यु से बुरा लगे तो इसके लिए कोई भी सॉरी नहीं है, और इस बुक को खरीद कर पढ़ने से अछा है आप १ साल इन्तेजार करते मूवी ही देख लेना।

Thursday, October 23, 2014

एक कोशिश

आज तक ज़िंदगी मैं मैंने स्कूल के बाद कभी हिंदी में कुछ लिखा नहीं, तो मेरे लिखे ये ब्लॉग लिखना एक बड़ी ही मुश्किल का काम था । उसकी वजह ये थी की जैसे ही मैंने लिखना शुरू किया मेरे सारे अल्फाज़ अंग्रेजी में ही आ रहे थे, मैं सोच तो हिंदी में रहा था लिखने के लिए, पर मेरे सारे शब्द इंग्लिश के थे । ये एक बड़ी ही बेसिक ( ये एक अंग्रेजी शब्द है ) परेशानी है उन सब लोगो के साथ जो उर्दू या हिंदी में बोलना या लिखना बंद कर चुके है। ये ऐसी समस्या तो है नहीं की लोगो को आप बताओ, ये तो बस ये बात है की हम अब सोचना भी इंग्लिश में शुरू कर चुके है ।  बहुत पहले जब मैं स्कूल में था तो हमारी इंग्लिश की टीचर कहा करती थी की जब तुम लोग इंग्लिश में सोचना शुरू करोगे और हमेसा दिमाग में पहला लफ्ज़ इंग्लिश का आएगा तो समझ लेना की इंग्लिश या जो भी भाषा सीख रहे हो तुमको आ गयी है ।

मेरे घर में सब उर्दू में आपस में बात करते है , मैं भी घर में  उर्दू का ही इस्तेमाल करता हूँ, पर अब समस्या ये हो गयी है की मेरे को उर्दू के अल्फ़ाज़ दिमाग में तो रहते है पर मैं अक्सर उनके मतलब भूल जाता हूँ । मैं कुछ दिनों तक कोशिश करूँगा की मैं हिंदी में लिखूँ, इंग्लिश में लिखने की वजह यही थी की वह पे लोग ज्यादा पढ़ने वाले मिल जाते थे, और मैंने अपनी कम्युनिकेशन की आदत को सुधारना चाहता था, पर अब मैंने ऐसे पड़ाव पे हो जहा पे मुझे अपने आपको इन सब बातो से ना फर्क पड़े ऐसा लिखना है ।

अभी जब मैं घर पे था तो मैं अपने एक पुराने दोस्त से मिला जो एक अब एक हाफिज कुरान है, उसने मुझे कुछ ऐसा कहा जिससे मैं काफी मुतासिर हुआ था, उसने कहा दोस्त ऐसा है वक़्त ऐसा आ गया है की अब हम जैसे पढ़े लिखे लोग ही अपनी जबान और अपने वतन को ना याद करे तो क्या होगा, लोग अब इंग्लिश इसलिए नहीं पढ़ते की उसने वह जुबान आये जिससे उनको काम मिले, अब वह इसलिए सीखते है ताकि वह अपनी जुबान को तर्क कर सके। मैं भी उससे काफी देर तक बात की जब उसने बताया की आज हमने जितनी भी देर बात की थी उसमे मैं काफी ज्यादा इंग्लिश के अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया था, जो की इसलिए क्यकि मैं उर्दू अब इस्तेमाल ही नहीं करता हो । उसकी बात में एक सच था जो मुझे पता था की ये एक वाजिब बात है, अब कहा इंग्लिश के ज़माने में कोई उर्दू में बात करके अपने आप को ओल्ड फैशन साबित करेगा ।

ये ब्लॉग में हिंदी और उर्दू में लिखने की मेरी एक कोशिश है ताकि मैं उस बात से जुड़ा हुआ रह सको, अपनी सोच लोगो को बता सकू पर उस जुबान में जिसमे मैं चाहता हूँ ना की जिसमे लोग चाहते है । अब मैं किसी और के लिए नहीं खुद के लिए लिखना चाहता हूँ । ये एक कोशिश है।

Books I am reading

After a long time I got a chance to spend some time on reading books, there was two books pending on my checklist, one was biography of Steve Jobs and another one was Moneyball: winning a unfair game written on life of Billy a GM of Baseball team, who against the all odds each year produce winning team with lower budget. For information only last year famous movie Moneyaball was based on this book only.

Let me first talk about my reading of Steve Jobs book, half of my book was finished in summer, but other half was pending. I never pushed myself to finish the book, but somehow this weekend I did it. For me Steve Jobs did two great things for us, one he created solution out of the existing problem and second he just created Apple what it is today. People have different opinion about him, and frankly they have right to do so, he divide people opinion. One thing which everyone agrees is he just created solution out of problem like no one else did, be it Ipod, be it IPhone, be it I Pad, and be it toy story. There are so many things which he did and nobody thought about it. I was really amazed to just read his story and so much new thing I learned about life. Often I feel what next can be done in this case, after reading his story I feel that he was at brutal best when he said what he needed to say. He revolutionized the way we listen the song, the way we use our touch phone and best part was with him we knew there is something new coming up. I think post him Apple has lost that Mojo factor, but who can blame Cook for it, who can ever replace #stevejobs. After reading his book, I am really torn between the idea of tech person and sales person, who should be allowed to run the company. One point I agree with him is that sales person always see the number, for him every product is about NUMBER, and at some point the product get lost to keep the number up.

There is one thing about #stevejobs which keep me hooked up to this book was his never to say die attitude. He was always sure what he wanted and by any means he keeps getting it. It is dealing with Motorola chip case, he did what other top person could be afraid to do, and for good it changed the industry. As a outside I see him as a person who stood between Windows to create the monopoly and now his creating of Apple phone is doing the same thing with Google Android. I know his legacy will always be Apple, but there is more than an organization, he created a value to apple which now people understand. A brand value which is hard to create and he did it in his own style.

After reading this book, I am really open for so many things, and in work I am really open to be more brutal. The friendship can work, but to successful, we have to be brutal. There are many ways to reach to top, it don’t necessary we take the way which others are taking, we have to just make sure we take a route which in which we don’t stop no matter the obstacle and most important we believe in the route which we are taking.


P.S.: I am so excited to read more biography now, felling like a child has just found space inside me again to be at my creative best, no matter what other think of you. I don’t give a dam F@#$ about them.