आज तक ज़िंदगी मैं मैंने स्कूल के बाद कभी हिंदी में कुछ लिखा नहीं, तो मेरे लिखे ये ब्लॉग लिखना एक बड़ी ही मुश्किल का काम था । उसकी वजह ये थी की जैसे ही मैंने लिखना शुरू किया मेरे सारे अल्फाज़ अंग्रेजी में ही आ रहे थे, मैं सोच तो हिंदी में रहा था लिखने के लिए, पर मेरे सारे शब्द इंग्लिश के थे । ये एक बड़ी ही बेसिक ( ये एक अंग्रेजी शब्द है ) परेशानी है उन सब लोगो के साथ जो उर्दू या हिंदी में बोलना या लिखना बंद कर चुके है। ये ऐसी समस्या तो है नहीं की लोगो को आप बताओ, ये तो बस ये बात है की हम अब सोचना भी इंग्लिश में शुरू कर चुके है । बहुत पहले जब मैं स्कूल में था तो हमारी इंग्लिश की टीचर कहा करती थी की जब तुम लोग इंग्लिश में सोचना शुरू करोगे और हमेसा दिमाग में पहला लफ्ज़ इंग्लिश का आएगा तो समझ लेना की इंग्लिश या जो भी भाषा सीख रहे हो तुमको आ गयी है ।
मेरे घर में सब उर्दू में आपस में बात करते है , मैं भी घर में उर्दू का ही इस्तेमाल करता हूँ, पर अब समस्या ये हो गयी है की मेरे को उर्दू के अल्फ़ाज़ दिमाग में तो रहते है पर मैं अक्सर उनके मतलब भूल जाता हूँ । मैं कुछ दिनों तक कोशिश करूँगा की मैं हिंदी में लिखूँ, इंग्लिश में लिखने की वजह यही थी की वह पे लोग ज्यादा पढ़ने वाले मिल जाते थे, और मैंने अपनी कम्युनिकेशन की आदत को सुधारना चाहता था, पर अब मैंने ऐसे पड़ाव पे हो जहा पे मुझे अपने आपको इन सब बातो से ना फर्क पड़े ऐसा लिखना है ।
अभी जब मैं घर पे था तो मैं अपने एक पुराने दोस्त से मिला जो एक अब एक हाफिज कुरान है, उसने मुझे कुछ ऐसा कहा जिससे मैं काफी मुतासिर हुआ था, उसने कहा दोस्त ऐसा है वक़्त ऐसा आ गया है की अब हम जैसे पढ़े लिखे लोग ही अपनी जबान और अपने वतन को ना याद करे तो क्या होगा, लोग अब इंग्लिश इसलिए नहीं पढ़ते की उसने वह जुबान आये जिससे उनको काम मिले, अब वह इसलिए सीखते है ताकि वह अपनी जुबान को तर्क कर सके। मैं भी उससे काफी देर तक बात की जब उसने बताया की आज हमने जितनी भी देर बात की थी उसमे मैं काफी ज्यादा इंग्लिश के अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया था, जो की इसलिए क्यकि मैं उर्दू अब इस्तेमाल ही नहीं करता हो । उसकी बात में एक सच था जो मुझे पता था की ये एक वाजिब बात है, अब कहा इंग्लिश के ज़माने में कोई उर्दू में बात करके अपने आप को ओल्ड फैशन साबित करेगा ।
ये ब्लॉग में हिंदी और उर्दू में लिखने की मेरी एक कोशिश है ताकि मैं उस बात से जुड़ा हुआ रह सको, अपनी सोच लोगो को बता सकू पर उस जुबान में जिसमे मैं चाहता हूँ ना की जिसमे लोग चाहते है । अब मैं किसी और के लिए नहीं खुद के लिए लिखना चाहता हूँ । ये एक कोशिश है।
मेरे घर में सब उर्दू में आपस में बात करते है , मैं भी घर में उर्दू का ही इस्तेमाल करता हूँ, पर अब समस्या ये हो गयी है की मेरे को उर्दू के अल्फ़ाज़ दिमाग में तो रहते है पर मैं अक्सर उनके मतलब भूल जाता हूँ । मैं कुछ दिनों तक कोशिश करूँगा की मैं हिंदी में लिखूँ, इंग्लिश में लिखने की वजह यही थी की वह पे लोग ज्यादा पढ़ने वाले मिल जाते थे, और मैंने अपनी कम्युनिकेशन की आदत को सुधारना चाहता था, पर अब मैंने ऐसे पड़ाव पे हो जहा पे मुझे अपने आपको इन सब बातो से ना फर्क पड़े ऐसा लिखना है ।
अभी जब मैं घर पे था तो मैं अपने एक पुराने दोस्त से मिला जो एक अब एक हाफिज कुरान है, उसने मुझे कुछ ऐसा कहा जिससे मैं काफी मुतासिर हुआ था, उसने कहा दोस्त ऐसा है वक़्त ऐसा आ गया है की अब हम जैसे पढ़े लिखे लोग ही अपनी जबान और अपने वतन को ना याद करे तो क्या होगा, लोग अब इंग्लिश इसलिए नहीं पढ़ते की उसने वह जुबान आये जिससे उनको काम मिले, अब वह इसलिए सीखते है ताकि वह अपनी जुबान को तर्क कर सके। मैं भी उससे काफी देर तक बात की जब उसने बताया की आज हमने जितनी भी देर बात की थी उसमे मैं काफी ज्यादा इंग्लिश के अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया था, जो की इसलिए क्यकि मैं उर्दू अब इस्तेमाल ही नहीं करता हो । उसकी बात में एक सच था जो मुझे पता था की ये एक वाजिब बात है, अब कहा इंग्लिश के ज़माने में कोई उर्दू में बात करके अपने आप को ओल्ड फैशन साबित करेगा ।
ये ब्लॉग में हिंदी और उर्दू में लिखने की मेरी एक कोशिश है ताकि मैं उस बात से जुड़ा हुआ रह सको, अपनी सोच लोगो को बता सकू पर उस जुबान में जिसमे मैं चाहता हूँ ना की जिसमे लोग चाहते है । अब मैं किसी और के लिए नहीं खुद के लिए लिखना चाहता हूँ । ये एक कोशिश है।
No comments:
Post a Comment
Click here to pen you Comment