अभी तक मैंने जो भी किताबो के रिव्यु लिखे है वह सारे इंग्लिश में थे, ये मेरी पहली कोशिश है अपने ब्लॉग में हिंदी के बुक रिव्यु लिखने की तो अगर कोई गलती नज़र आती है आपको तो जरूर बताये ।
आज मैं जिस बुक के बारे में बात करने जा रहा हूँ वह है " Half Girlfriend", ये बुक बेस्टसेलर ऑथर चेतन भगत ने लिखी है, और मुझे ये लिखने में यहाँ पे कोई भी दिक्कत नहीं है की ये बुक भी बेस्ट सेलर और और एक बॉलीवुड मूवी भी बनेगी । इस बुक को मैंने ३ घंटे में खत्म कर लिया था, इसका शुक्रिया मैं चेतन साहब को दूँगा, उन्होंने बुक को इतनी आसान भाषा में लिखा है, की हिन्दोस्तान जहा पे लोग हिंगलिश बोलना पसंद करते है आराम से पढ़ सकते है, और वैसे कुछ लोग इसको एक हिंगलिश बुक भी कह सकते है ।
ये कहानी है माधव झा की जो बिहार से आया है दिल्ली पढ़ने, जहा पे वह मिलता है किताब के दूसरे अहम किरदार से जिसका नाम है रिया समोनी, इन दोनों में एक ही बात कॉमन है वह है बास्केटबॉल । माधव को इंग्लिश में दिक्कत है पर बास्केटबॉल की वजह से एडमिशन मिलता है वही रिया से दोस्ती भी इसी वजह से होती है । उसके बाद कहानी है इस दो किरदारों की जो की एकदम अलग है, हीरो है बिहार का जो दिल्ली की हर बाद उसके लिए नयी है, और रिया जो दिल्ली के बड़े परिवार से है पर अलग है। इन दोनों की ज़िन्दगी की कहानी है ये। बुक काफी हद तक पहले कुछ चैप्टर में अच्छी रही है, पर उसके बाद मैं इस किताब में कही भी सरप्राइज नहीं हुआ, मुझे पहले से ही पता लग रहा था की अब क्या होगा, और मैंने सबसे ज्यादा किताब के लास्ट पोरशन से डिस्अप्पोइंट हुआ, मुझे कही भी ये फील नहीं आई की ये बुक है , मुझे लग रहा था सब चेतन साहब अपनी किसी नयी फिल्म की कहानी सुना रहे है, और इस किताब में ऐसा कुछ नही है की आप कहे की है ये किताब आप दुबारा पढ़ सकते है।
मुझे ऐसा फील हुआ बुक पढ़ते समय शायद चेतन साहब को बुक बिकने से ज्यादा इसके बॉलीवुड राइट की चिंता थी, ये बुक कही से भी आपको एक बुक की कहानी की फीलिंग नहीं देती । आपको ऐसा लगता है आप एक मूवी देख रहे है, पर आप उसके हर एक अगले पल को जानते है, जैसे की मैं आपको एक उदाहरण देता हो, ये बुक पूरी एक पारिवारिक बुक है, इसमें सेक्स के बारे में उतनी है बात की गयी है जितनी एक मूवी में होती है, और जहा तक चेतन भगत की किताबो का सवाल है, ये थोड़ा सा ओड है ।
इस बुक का सबसे बड़ी कमी है की आप किसी भी किरदार से जुड़ा हुआ नहीं महसूस करते है, आपको लगता है की ये सब ठीक है, आपके किसी के खोने का गम नहीं होता, न ही मिलने की खुशी, या तो पहले से सब जानते हो तब ऐसा होता है, या तो किरदार सही तरह से आपके सामने डेवेलप नहीं हो पते, इस बुक में कभी बी कोई किरदार डेवेलोप नहीं हुआ है, हर कोई बस एक हद तक है, ये एक टर्म इंडिया में अब फ़मोस है तो ये २०-२० बुक है , यहाँ सब कुछ फ़ास्ट है, पर आप किसी भी बात से जुड़े नहीं है ।
ये बुक ये एक बहुत बड़ी हिट होगी, लोग इससे अछा भी कहेगा और बुरा भी, पर समझे बुक और कहनी दो अलग बात है, ये एक कहानी है किताब नहीं, किताब लिखना थोड़ा से ज्यादा मेहनत का काम होता है, और इस बुक में थोड़ी से कही है । पर ये किताब परफेक्ट है किसी भी मूवी के लिए, मैं तो यही कहोगे की मैं इस बुक से बड़ा ही डिस्अप्पोइंट हुआ हो, और शायद अब मुझे चेतन साहब की बुक को दूर रखना चाहिए ।
नोट: अगर किसी को इस रिव्यु से बुरा लगे तो इसके लिए कोई भी सॉरी नहीं है, और इस बुक को खरीद कर पढ़ने से अछा है आप १ साल इन्तेजार करते मूवी ही देख लेना।
आज मैं जिस बुक के बारे में बात करने जा रहा हूँ वह है " Half Girlfriend", ये बुक बेस्टसेलर ऑथर चेतन भगत ने लिखी है, और मुझे ये लिखने में यहाँ पे कोई भी दिक्कत नहीं है की ये बुक भी बेस्ट सेलर और और एक बॉलीवुड मूवी भी बनेगी । इस बुक को मैंने ३ घंटे में खत्म कर लिया था, इसका शुक्रिया मैं चेतन साहब को दूँगा, उन्होंने बुक को इतनी आसान भाषा में लिखा है, की हिन्दोस्तान जहा पे लोग हिंगलिश बोलना पसंद करते है आराम से पढ़ सकते है, और वैसे कुछ लोग इसको एक हिंगलिश बुक भी कह सकते है ।
ये कहानी है माधव झा की जो बिहार से आया है दिल्ली पढ़ने, जहा पे वह मिलता है किताब के दूसरे अहम किरदार से जिसका नाम है रिया समोनी, इन दोनों में एक ही बात कॉमन है वह है बास्केटबॉल । माधव को इंग्लिश में दिक्कत है पर बास्केटबॉल की वजह से एडमिशन मिलता है वही रिया से दोस्ती भी इसी वजह से होती है । उसके बाद कहानी है इस दो किरदारों की जो की एकदम अलग है, हीरो है बिहार का जो दिल्ली की हर बाद उसके लिए नयी है, और रिया जो दिल्ली के बड़े परिवार से है पर अलग है। इन दोनों की ज़िन्दगी की कहानी है ये। बुक काफी हद तक पहले कुछ चैप्टर में अच्छी रही है, पर उसके बाद मैं इस किताब में कही भी सरप्राइज नहीं हुआ, मुझे पहले से ही पता लग रहा था की अब क्या होगा, और मैंने सबसे ज्यादा किताब के लास्ट पोरशन से डिस्अप्पोइंट हुआ, मुझे कही भी ये फील नहीं आई की ये बुक है , मुझे लग रहा था सब चेतन साहब अपनी किसी नयी फिल्म की कहानी सुना रहे है, और इस किताब में ऐसा कुछ नही है की आप कहे की है ये किताब आप दुबारा पढ़ सकते है।
मुझे ऐसा फील हुआ बुक पढ़ते समय शायद चेतन साहब को बुक बिकने से ज्यादा इसके बॉलीवुड राइट की चिंता थी, ये बुक कही से भी आपको एक बुक की कहानी की फीलिंग नहीं देती । आपको ऐसा लगता है आप एक मूवी देख रहे है, पर आप उसके हर एक अगले पल को जानते है, जैसे की मैं आपको एक उदाहरण देता हो, ये बुक पूरी एक पारिवारिक बुक है, इसमें सेक्स के बारे में उतनी है बात की गयी है जितनी एक मूवी में होती है, और जहा तक चेतन भगत की किताबो का सवाल है, ये थोड़ा सा ओड है ।
इस बुक का सबसे बड़ी कमी है की आप किसी भी किरदार से जुड़ा हुआ नहीं महसूस करते है, आपको लगता है की ये सब ठीक है, आपके किसी के खोने का गम नहीं होता, न ही मिलने की खुशी, या तो पहले से सब जानते हो तब ऐसा होता है, या तो किरदार सही तरह से आपके सामने डेवेलप नहीं हो पते, इस बुक में कभी बी कोई किरदार डेवेलोप नहीं हुआ है, हर कोई बस एक हद तक है, ये एक टर्म इंडिया में अब फ़मोस है तो ये २०-२० बुक है , यहाँ सब कुछ फ़ास्ट है, पर आप किसी भी बात से जुड़े नहीं है ।
ये बुक ये एक बहुत बड़ी हिट होगी, लोग इससे अछा भी कहेगा और बुरा भी, पर समझे बुक और कहनी दो अलग बात है, ये एक कहानी है किताब नहीं, किताब लिखना थोड़ा से ज्यादा मेहनत का काम होता है, और इस बुक में थोड़ी से कही है । पर ये किताब परफेक्ट है किसी भी मूवी के लिए, मैं तो यही कहोगे की मैं इस बुक से बड़ा ही डिस्अप्पोइंट हुआ हो, और शायद अब मुझे चेतन साहब की बुक को दूर रखना चाहिए ।
नोट: अगर किसी को इस रिव्यु से बुरा लगे तो इसके लिए कोई भी सॉरी नहीं है, और इस बुक को खरीद कर पढ़ने से अछा है आप १ साल इन्तेजार करते मूवी ही देख लेना।
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