अपने आँखों के काजल से कहो,
मेरी नींद को ना चुराया करे,
अपने चेहरे की शोखी को कहो,
मुझसे यू ना शरमाया करे,
अपने हाथो की लकीरों को कहो,
कभी मेरी लकीरों से भी मिल जाया करे,
अपनी जुल्फों से कहो,
कभी मेरे सर पे भी साया करने आया करे,
अपनी खनकती आवाज़ से कहो,
कभी मेरे कानो में आके गुनगुनाया करे,
अपनी पैरो की पाजेब से कहो,
कभी मुझे भी नींद से जगाया करे,
अपनी शोखियो से चुपके से कहो,
कभी मुझे भी यू ही हसाया करे,
अपने आदाब करने के अंदाज़ से कहो,
हमको भी कभी आदाब सिखाने आया करे।
No comments:
Post a Comment
Click here to pen you Comment